मेरी शादी को चार साल हो चुके थे और इस घर में मेरी सासु माँ जिंदा नहीं थी सिर्फ मेरी ननद और ससुर ही थे एक दिन मैं अपने ससुर के कपड़े धो रही थी जब उनकी जेब से एक अजीब सी चीज मेरे हाथ में महसूस हुई वैसे तो मेरी आदत थी कि मैं कपड़ों को चेक कर लेती थी लेकिन शायद मुझसे गलती हो गई थी मैंने जल्दी-जल्दी उस चीज को बाहर निकाला तो वह चीज मेरे हाथ से फिसल गई और मैंने मुंह पर हाथ रख लिया मेरी ननद दूर बैठी थी उसने भी मेरा चौक देख लिया कि कुछ अजीब हुआ है वह चलकर मेरे पास आ गई तो मैंने उस चीज पर कपड़ा रख दिया वह पूछने लगी क्या हुआ भाभी अभी आपने क्या देखा है क्या मिला है आपको मैंने कहा तुम्हारे पापा जी की जेब से कोई बड़ी ही अजीब चीज निकली है हद होती है वैसे यह किस किस्म की हरकतें करते फिरते हैं वह भी इस उम्र में वह कहने लगी ऐसा भी क्या हो गया बताइए तो सही मैंने उस चीज पर से कपड़ा हटा दिया वह एक बड़ा सा गुब्बारा था जिसे देखकर मेरी ननद भी मुंह पर हाथ रखे एक तरफ को सिहर गई मैंने कहा अब बताओ यह उनकी उम्र है ऐसे काम करने की तो कहने लगी मैं आपको बताती हूं कि इसके पीछे क्या राज है मैं यह सुनकर हैरान थी एक बार उससे पूछकर मुझे और जानने की उत्सुकता हुई कि वह मुझे क्या बताएगी फिर ननद ने मुझे ऐसी बात बताई कि मैंने अपने कानों को हाथ लगा लिया मेरा नाम सिमन है मेरी चार साल पहले अभिषेक नामक लड़के से सगाई हो चुकी थी और अभी तक वह लोग विदाई नहीं ले रहे थे उनके अलग-अलग बहाने थे कभी कहते कि हम घर बना रहे हैं तो कभी कहते कि हमारे पास पैसे नहीं हैं कि हम तैयारी कर सके मुझे याद है जब हमारी सगाई हुई थी तो मेरी सासु माँ भी जिंदा थी लेकिन अब तो मेरी सासु माँ भी इस दुनिया से जा चुकी थी सगाई के समय मेरी ननद भी मौजूद नहीं थी वह अपनी पढ़ाई के लिए शहर गई हुई थी अब उसकी पढ़ाई पूरी हो गई ऐसा लगता था कि सारी दुनिया के बहाने उन्हीं लोगों के पास ही है पहले तो झूठे बहाने कर रहे थे कि उनके पास पैसे नहीं हैं पहले घर बना ले फिर तेरी शादी करेंगे अगर उनके पास पैसे नहीं थे और उनको शादी करनी ही नहीं थी तो फिर सगाई करने की क्या जरूरत थी मेरी सगाई तो हो गई थी और अभिषेक बुरा लड़का नहीं था लेकिन इस बीच मेरे लिए और भी रिश्ते आ रहे थे जो मेरे घर वालों को अब से ज्यादा अच्छे लग रहे थे मैं अभिषेक को अब भी कहती थी और सोच में पड़ जाती थी कि कहीं हमने जल्दी तो नहीं कर दी क्योंकि मैं बहुत ज्यादा सुंदर थी और मेरी शादी कि अच्छे घर में भी हो सकती थी नहीं लोग तो वैसे ही थे जैसे हम लोग थे फिर इस बीच मेरी सासु माँ भी इस दुनिया से चली गई और अब उनका कहना था कि इतनी जल्दी घर में खुशी कैसे मना सकते हैं जब अभी-अभी इतना बड़ा दुख गुजरा है मतलब मेरी शादी की तारीख बढ़ते बढ़ते इतनी आगे जा चुकी कि साल ही गुजर चुके थे बीच में ननद का भी लग रहा था कि उसकी पढ़ाई चल रही है फिर उसकी पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो तब शादी करवाएंगे क्योंकि उसकी पढ़ाई बड़ी जरूरी है और वह छुट्टी नहीं कर सकती खैर अब तो वह भी वापस आ गई थी और घर पर ही होती थी उसको कोई नौकरी नहीं मिली घर पर ही रहती थी उनको भी जरूरत थी घर पर किसी औरत की मेरी ननद से सारा कुछ नहीं होता था उसे तो खाना बनाना भी ठीक से नहीं आता लेकिन फिर भी जाने क्यों मुझे घर में लाने से कतराते रहे एक तरफ तो कह रहे थे कि ननद पढ़ाई कर रही है और बड़ी मुश्किल पढ़ाई कर रही है ऐसा कोर्स कर रही है जो ज्यादा लोग नहीं करते लेकिन जब मैंने उसको एक दिन बाजार में देखा तो वह मेरे ससुर के साथ ही थी और शक्ल से ही अजीब सी लग रही थी क्योंकि सगाई में तो यहां नहीं थी और उसके बाद ऐसा माहौल बनाकर मेरा उसके साथ कोई आना जाना ही नहीं हुआ जब मेरी सासु माँ इस दुनिया से गई तो तब हम लोग वहां पर गए थे बस एक जगह तब देखा था तब तो वैसे ही वह दुख में थी तो ठीक से पता नहीं चल रहा था कि कैसी है लेकिन जब उसने मुझसे थोड़ी बहुत बात की तो मुझे तो ऐसा नहीं लगा कि वह इतनी ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की है वह तो मुझे ऐसी लग रही थी जैसे उसने मुझसे भी कम पढ़ाई की मेरी अभिषेक के साथ सगाई हो चुकी थी इसलिए मैं कभी-कभी उससे फोन पर कभी कभार बात कर लिया करती थी उसका कहना था कि मैं तो कब से मरा जा रहा हूं तुम्हारी दूरी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती है मैंने उससे कहा कि मेरे पापा जी कहते हैं कि कुछ भी ना करें बस दो लोग ले आए और आकर बे को ले जाए हम बड़ी बेटी को रुखसत करेंगे तो फिर छोटी की शादी करनी है चार साल हो गए हैं सगाई को अभी तक तो हमारी औलादे भी हो जानी थी यह अच्छी बात नहीं है अपने घर वालों को समझाओ कब तक मैं बैठी रहूंगी तुम मुझसे सगाई कर चुके हो और मुझे मेरे घर में बिठाकर ही बूढ़ा कर दोगे क्या हम लोगों को एक दूसरे से दो महीने में ही मोहब्बत हो गई थी और उसके बाद हमने यह साल किस तरह काटे थे यह तो हम दोनों ही जानते थे बीच में कहीं दफा ऐसा हुआ कि शादी की तारीख रखने की बात हुई लेकिन फिर बात खटाई में पड़ गई अब तो ज्यादा ही हो गया था मैंने कहा कि मेरे खानदान वाले मेरे पापा जी के काम करते रहते हैं या मैं होकर वह तुम्हारी तरफ से बेफिक्र हो जाएं और मेरा रिश्ता किसी और से कर दें अभिषेक परेशान हो गया उसने कहा तो कुछ सोचता हूं जब उसने यह बात सुनी कि मेरे घर वाले कहते हैं कि सादगी से आए और आकर ले जाएं तो उसने कहा कि यह तो तुम्हारे घर वालों ने बड़ी अच्छी बात कर दी है पापा को कहता हूं बहरहाल हमें यह सब कहना तो नहीं था हमारी भी इसमें इजत खराब हो रही थी फिर सब यही कहते कि अगर सब सादगी से ही करना था तो चार साल इंतजार क्यों किया जब सगाई हुई थी तो कहा गया था कि तीन महीने बाद शादी होगी और अब ती साल हो गए थे मेरी दूसरी बहन का रिश्ता आ रहा था और उन लोगों को भी बहुत जल्दी थी अब भी लोग बातें कर रहे थे कभी सगाई के बाद भी चार साल तक कोई इतना इंतजार करता है भला बस मेरे ससुर और मेरे होने वाले पति के दो रिश्तेदार आए थे और मेरी ननद भी थी शादी की रस्म होने लगी मेरी ननद बड़ी अजीब किस्म की लड़की थी ना उसे किसी चीज का शौक था ना कुछ उसके भाई की शादी थी फिर भी ऐसे रूखे तरीके से कपड़े पहनकर चली आई ना चेहरे पर कुछ लगाया ना मेरे पास बैठी कोई बात भी नहीं कर रही थी भगवान माफ करे ऐसा कहना नहीं चाहिए लेकिन उसे देखकर ऐसा लगता था कि जैसे वह कुंवारी लड़की नहीं बल्कि कोई विधवा है जो हर वक्त शोक मनाती रहती है कहते हैं ना कि विधवा औरत को रंग बिरंगे कपड़े नहीं पहनने चाहिए श्रृंगार नहीं करना चाहिए अरे वह तो कुवारी लड़की थी और फिर उसके भाई की शादी थी मानो तो उसकी मां को इस दुनिया से गए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था लेकिन जाने वाले के साथ कोई चलता नहीं जाता और तीन दिन से ज्यादा मरने वाले का दुख मनाना भी अजीब सी बात लगती है क्योंकि हम सबको पहले से ही पता है कि हम सबने एक दिन मर जाना है यह कोई ऐसी बात तो नहीं है जो किसी एक इंसान के साथ होती है और बाकियों के साथ नहीं होती खैर राम राम करके मेरी शादी हो ही गई जिस तरह से सोची थी उस तरह से नहीं हुई इस बात का बड़ा दुख हुआ मैं उन लड़कियों में से नहीं थी जिनके दिल में अपनी शादी को लेकर बड़े अरमान होते हैं कि मेरा दूल्हा घोड़े पर बैठेगा मैं ऐसे एंट्री मारूंगी ऐसा लहंगा पहनूंगी या करूंगी वह करूंगी लेकिन फिर भी शादी इस तरह से हुई थी कि जैसे शादी नहीं है बस मुझे लेने के लिए आए हैं इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा था पर फिर सोचा कि घर वाले भी इससे तंग आ गए थे इतनी बातें सुनाने लगे थे कि लगता है तेरी ही कुंडली में कोई दोष है जो तेरे साथ यह सब कुछ हो रहा है बस अब मैंने सोचा था कि मेरा अपना घर होगा उसके बाद मैं वहां खुश रहूं या परेशान रहूं वह मेरा परेशानी होगा पर जब से मैं इस घर में आई थी! और इस घर की बहू बनी थी इस घर का एक हिस्सा बन गई थी मैंने यह बात धीरे-धीरे नोट करना शुरू कर दी थी इस घर में भी कुछ बहुत ही अजीब हरकतें होती थी मेरे ससुर क्या काम करते थे इसके बारे में हमें कोई पता नहीं था वह कभी कोई काम करते कभी कोई मेरी ननद पूरा दिन डरेस में घर में ऐसे फिरती रहती जैसे अभी कोई दीवार फांद करर घर में आ जाएगा और घर में जो कुछ भी है वह लूट के ले जाएगा मुझसे कोई बात भी नहीं करती बस काम की बात करती कभी-कभी मैं गुस्सा हो जाती और उसको कुछ कह देती तो आगे से जवाब भी नहीं देती थी घर में जैसे ही ससुर कदम रखते मेरी ननद के चेहरे का रंग उड़ जाता था अजीब सी हालत में आ जाती थी जैसे से डर रही हो वह मेरे ससुर से जाने क्यों इतना डरती थी उनके आते ही कमरे में चली जाती और जो वह कहते बस उस पर हां में सर हिलाती रहती यह किस किस्म की ननद थी मेरे घर में मेरी सासु माँ नहीं थी उसको तो मेरी सासु माँ का किरदार अदा करना चाहिए था लेकिन यह तो अपनी दुनिया में मशगूल रहती थी मेरे पति का काम भी ऐसा था कि कभी-कभी रात को भी घर से गायब रहता था अजीब बोर किस्म के लोग थे जैसे पता नहीं किस परेशानी से घिरे हुए थे उनको किसी बात की खुशी नहीं होती थी और ना ही गम का एहसास होता था उनके घर कोई नहीं आता था ना घर में कोई जाता था ना यह लोग किसी के घर जाते थे मेरा पति मेरे साथ तो ठीक है लेकिन वह भी काम की बात करते हैं उसके बाद एक साइड पर बैठ जाता है मुझे अपनी ननद को भी फोन करवाना था घर में क्या हो रहा है मुझे सबने बताया था तुम्हारी सासु माँ तो पहले ही इस दुनिया से चली गई थी मुझे नहीं पता तुम अभागी हो या खुशकिस्मत लेकिन यह सच है कि तुम्हारी जिंदगी अब ठीक चल रही है जब मैंने पहले सोचा था कि मुझे क्या करना है तो मुझे इस बात का एहसास हुआ कि इस हालात को देखकर मुझे तरस आता है मैं क्या इसको फैमिली पॉलिटिक्स में फंसाना चाहती थी जबकि यह किसी काबिल नहीं थी मैं झूठ बोलती क्योंकि वह मान लेती थी अगर मुझे किसी बात पर गुस्सा भी आ जाता तो बोलती भी नहीं थी मेरी शादी को दो साल पूरे होने वाले थे भगवान ने अभी तक कोई औलाद नहीं दी डॉक्टर से भी चेक करवाया था डॉक्टर ने कहा कोई परेशानी नहीं है बस कुदरती देर हो रही है हमें इस बात से कोई समस्या नहीं थी क्योंकि अगर मुझ में कोई समस्या नहीं थी तो फिर मुझे इलाज करवाने की क्या जरूरत थी इस तरह दिन गुजर रहे थे पति अच्छा था रात को देर से आता था लेकिन फिर भी दो घड़ी बैठकर प्यार भरी बातें कर लेता था तो मेरी दिन भर की थकान उतर जाती थी जब से मैंने अपने परिवार वालों को बताया था कि मेरी सास गुजर चुकी है तो वे कहते थे कि फिर तो हमने तुम्हारी शादी अच्छे घर में करवाई है इसलिए मुझे परेशान होने की जरूरत ही नहीं थी ऐसा ही था मेरी जिंदगी में कोई परेशानी नहीं थी सासु माँ नहीं थी इसलिए मुझे किसी ने यह भी नहीं कहा कि अभी तक बच्चे क्यों नहीं हुए किसी ने मुझसे उल्टे सीधे सवाल भी नहीं किए लेकिन एक बात है कि अगर मेरी सासु माँ जिंदा भी होती तो शायद वह इतनी बुरी नहीं होती क्योंकि मेरी उनसे दो चार बार मुलाकात हुई थी वह बहुत अच्छी इंसान लग रही थी अगर होती तो शायद मेरी मदद ही करती लेकिन अच्छे लोग इस दुनिया से जल्दी चले जाते हैं ससुराल वाले तो किसी के भी अच्छे नहीं होते लेकिन जिसके लिए लड़की अपने सब कुछ छोड़कर आती है उसे अच्छा होना चाहिए और मेरा पति मेरे साथ बिल्कुल ठीक था कभी-कभी उससे कहती थी कि तुम्हारे घर वाले बहुत अजीब हैं तो कहता था कि बस यही है मां के जाने के बाद ऐसे हो गए हैं मेरी ननद की मोहल्ले में कोई सहेली भी नहीं थी और हमारे घर में कोई रिश्तेदार भी नहीं आता था मैंने सोचा कि इस बेचारी का क्या कसूर है ऐसे ही पड़ी रहती है पढ़ाई भी उसने कर ली है अब उसकी शादी करवा देनी चाहिए जैसे ही ननद की शादी की बात उठती तो मेरे ससुर जी शोर मचा देते एक दिन अपने पति से कहा कि आप बात करें क्योंकि जब मैं बात करती हूं तो कहते हैं कि नहीं अभी हमने इसकी शादी नहीं करनी 43 साल की हो गई है और कब करनी है शादी इसकी मुझे देखिए मेरी शादी के चार साल आप लोगों ने बर्बाद कर दिए फिर भी अभी मैं 39 साल की हूं लड़कियों की शादी जितनी जल्दी हो जाए उतना ही अच्छा होता है और जब शादी ही करनी है तो फिर घर में बिठाने का मतलब ही क्या है या तो उसे कोई नौकरी करवानी हो या अभी उसकी पढ़ाई बाकी हो ना तो वह पढ़ाई कर रही है ना ही नौकरी घर में क्यों बिठा के रखा है हो सकता है वह बेचारी फिर भी शादी करना चाहती हो तभी तो कहीं खोई खोई रहती है लेकिन अपनी जुबान से यह सब कुछ बोल नहीं रही हो अब जरूरी तो नहीं कि इंसान हर बात अपने मुंह से बताए कुछ तो उसके घर वालों को डोट भी एहसास करना चाहिए जब उसे नौकरी भी नहीं करवानी घर का वह कोई काम भी ठीक से नहीं करती तो फिर उसे घर में क्यों रखा गया है बेचारी पूरा दिन उदास रहती है मेरे पति के दिल को यह बात लगी और उसने कहा मैं बात करता हूं तुम फिक्र मत करो वह गया तो बात करने था लेकिन बात से फसाद बन गया मैं तो आवा सुनकर ही बाहर आई मेरे ससुर ने कहा मुझे अपनी बेटी की शादी नहीं करनी अपनी बेटी को घर से भेज दूंगा तो मेरा घर सुना हो जाएगा मेरे पति ने कहा कि सारे लोग अपनी बेटियों की शादी करते हैं जितनी भी लाडली बेटियां हैं सब एक दिन रुखसत हो जाती हैं मेरे ससुर ने कहा कि हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि दहेज बना सके मेरे पति ने कहा कि आज भी ऐसे रिश्ते मिलते हैं जिनको दहेज की जरूरत नहीं होती है शक्ल सूरत की अच्छी है हमारी बहन दुबली तली है अपनी उम्र से कम लगती है हो सकता है किसी अच्छी जगह इसका रिश्ता मिल जाए मेरी पत्नी भी तो बिना दहेज के आई है इन लोगों में दहेज बनाने की हिम्मत नहीं थी आपने भी इसके लिए कुछ नहीं बनाया फिर भी आई है यह इस घर में आराम से रह रही है इसको क्या परेशानी है मेरे ससुर ने बात बदल दी कहने लगे कि तुम अब मुझे मत बताओ कि हमने तुम्हारी पत्नी के लिए कुछ किया नहीं है चुपचाप यहां से चले जाओ दो साल होने को आए इस घर में औलाद नहीं आई तुम दोनों की अगर तुम लोगों को इस घर के होने का एहसास होता तो दोनों के इस बारे में कुछ सोच लेते लेकिन लगता है आजकल के समझदार पति-पत्नी बन गए हो अभी अपनी जिंदगी में बच्चों को नहीं लाना चाहते चाहे बाप बच्चों की शक्ल देखने के लिए तरस जाए मैं नोट कर रही थी कि मेरे ससुर बारबार बात को घुमाकर दूसरी तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे थे जब तुमने एक दफा भी नहीं कहा था कि उनको पोते पोती का शौक है अब अपनी बेटी को भी भेज दूं ताकि घर सोना हो जाए ससुर ने तो हमें ही ताना दे दिया जबकि वे जानते थे कि हम दोनों में से किसी में भी कमी नहीं थी पर यह एक बार की बात नहीं थी जैसे ही मैं अपनी ननद की शादी की बात करती मेरे ससुर ऐसे तड़पने लगते थे जैसे किसी मछली को रेगिस्तान में फेंक दिया हो मोहल्ले की औरतें मेरे पास आती थी पूछती थी इसका रिश्ता क्या है या नहीं तो जवाब तो मुझे ही देना पड़ता था खैर मैं भी इधर-उधर के झूठ लगा देती थी कि रिश्ता देखा हुआ है लड़का बाहर होता है आ जाएगा तो शादी कर देंगे और पता नहीं क्या-क्या बोलती थी वह घर के कोई काम नहीं किया करती थी एक दिन मैं सहन में बैठी कपड़े धो रही थी जब मेरे ससुर की जेब से एक निहायत ही अजीब चीज निकली इस चीज के बारे में मैं अच्छी तरह जानती थी और मेरे ससुर के साथ इस चीज का कोई काम हो नहीं सकता था क्योंकि मेरी सासु माँ भी हयात नहीं थी मेरी ननद ने भी वह चीज देख ली जब उससे पूछा कि यह क्या चक्कर है तो कहने लगी कि मुझे कुछ नहीं पता मुझे गुस्सा आ गया और चीज अपने कमरे में ले आई और अपने पति को दिखाई मेरे पति ने वह चीज मेरे हाथ में देखी तो कहने लगा कि यह क्या तुमने हाथ में पकड़ रखा है शर्म नहीं आती तुम्हें फेंको इसको दिनदहाड़े ऐसी चीजें हाथ में पकड़ के कमरे के अंदर आती हो मुझे पता है! Part 2 आज मेरी छुट्टी है लेकिन मुझे आराम करने दो मैंने कहा कि शर्म तो आपके पापा जी को नहीं आती क्योंकि यह आपके पापा जी की जेब से बरामद हुआ है और आप मुझे ही बातें सुना रहे हैं मेरा पति तो हैरान रह गया और कहने लगा तुम सच बोल रही हो मजाक तो नहीं कर रही मैंने कहा कि मैं ऐसी गंदी चीजों के के साथ गंदे गंदे मजाक क्यों करूंगी भला आपके पापा जी का जरूर कोई चक्कर चल रहा है तभी तो पूरा दिन घर से गायब रहते हैं और अपने अलावा किसी की परवाह ही नहीं होती बेटी की शादी तक की परवाह नहीं बेटी घर में बैठी बूढ़ी हो जाए कोई परेशानी नहीं उनको अपनी ही मस्ती में लगे हैं अब हमारे घर में तो ऐसी चीजों का कोई इस्तेमाल नहीं है ना ही हमारे कोई बच्चे हैं तो फिर यह गुब्बारा इनकी जेब में क्या कर रहा है मेरा पति सिर पकड़कर बैठ गया और मेरे सामने शर्मिंदा भी होने लगा कहने लगा कि क्या करूं मां भी तो इस दुनिया से जल्दी चली गई है वह भी वक्त से पहले हो सकता है कि उनका शादी करने का दिल करता हो तो मैंने कहा कि जवान बेटी घर में बैठी है और बाप को शादी की पड़ी है चलो ठीक है करनी है तो करें शादी लेकिन पहले अपनी बेटी की शादी करवा दें फिर इसके बाद हम भी यह कहने के काबिल होंगे की बच्चों की शादियां हो गई हैं पापा जी को तन्हाई सताती थी तो कोई उम्र सदा बूढ़ी औरत या विधवा औरत ढूंढकर पापा जी की शादी करवा देंगे हमें इसमें क्या परेशानी होगा उनकी अपनी जिंदगी है अभी उनकी उम्र भी है लेकिन पहले उन्हें अपनी बेटी की शादी करवानी चाहिए मेरे पति ने पूछा कि तुम्हारी नजर में कोई लड़का है तो मैंने कहा कि हां मेरा एक कजिन है मेरे चाचा का बेटा वह बहुत अच्छा है उसकी कपड़ों की दुकान है और घर भी उनका अपना है मैं उसे आधी जुबान से कह दूंगी तो वे बात कभी भी रद्द नहीं करेंगे और आराम से रिश्ता करवा देंगे मेरे पति ने कहा कि कल हम दोनों उनके घर चलते हैं ताकि मैं लड़के को देख लूं फिर मैं पापा जी से बात करूंगा अगर उन्होंने हां कर दी तो वे भी इंकार नहीं करेंगे और शादी करवा देंगे मैंने कहा कि ठीक है बहुत अच्छा सोचा आपने अगले दिन मैं और मेरे पति मेरे कजिन के घर जाने वाले थे मैंने उन्हें कॉल कर दिया था उन्होंने कहा कि क्यों नहीं आप लोग हमारे घर दावत के लिए आइए मैंने सोचा कि क्यों ना अपनी ननद को भी साथ ले चले उनकी नजर में लड़का आ जाएगा फिर जब उनसे बात करेंगे तो उन्हें पता होगा कि किस लड़की की बात कर रहे हैं तो ज्यादा समय बर्बाद नहीं होगा मेरे पति ने कहा कि तुम तो बहुत समझदार हो मैंने कहा कि मैं तो हूं ही समझदार और मुस्कुराते हुए कहा दिल ही दिल में खुश भी हो रही थी कि उनकी शादी हो जाएगी अच्छी बात है मुझे इससे कोई समस्या नहीं थी लेकिन यह बात भी मेरे हक में ठीक है फिर सारा मेरा घर हो जाएगा मेरे पति ने कहा कि तुम लोग शाम में तैयार रहना मैं रिक्शा लेकर आऊंगा फिर हम तीनों चलेंगे मैंने अपनी ननद से कहा कि तैयार हो जाओ उसने कहा कि नहीं जाना नहीं पापा जाने देंगे मैंने कहा कि क्यों नहीं जाने देंगे क्या किसी बाहरी के साथ जा रही हो अपने भाई और भाभी के साथ जा रही हूं चलो तैयार हो जाओ वह बहुत जिद कर रही थी कि जिसकी कोई सीमा नहीं थी तैयार ही नहीं हो रही थी जैसे तैयार हो जाएगी तो ससुर आकर उसके हाथ तोड़ देगा फिर मुश्किल से उसे तैयार कराया दोनों तैयार होकर बाहर बैठने लगे क्योंकि मेरे पति रिक्षा लेने गए थे मेरे पति घर में दाखिल हुए और ससुर भी आ गए उन्होंने हम दोनों को देखकर पूछा कि कहां की तैयारी है कहां जा रहे हो तुम लोग मैंने बताया कि दावत है चाचा के घर वहां जा रहे हैं और ननद को भी साथ ले जा रहे हैं ससुर ने कहा कि वह बिल्कुल भी नहीं जाएगी मेरे पति ने कहा कि क्यों नहीं जाएगी जाने दो उसे पूरा दिन क में बैठी रहती है बेचारी सर्दी में रहती है हमारे साथ जाएगी तो दिल बहल जाएगा उसका पापा जी ने कहा कि बिल्कुल भी नहीं बिल्कुल भी नहीं जाएगी मेरे ससुर ने ननद का हाथ पकड़ा और उसे घसीट कर अपनी ओर ले लिया और कहा कि जाओ कमरे में चली जाओ उसने भी कुछ नहीं कहा कि मुझे जाना है बस चुपचाप अपने कमरे में चली गई मैंने उसकी ओर देखा और उसने भी अजीब सी शक्ल बनाई पति ने मुझसे कहा कि तुम तो आ जाओ रास्ते में हम बातें करेंगे कि अगर उसे साथ भेज देते तो क्या हो जाता मेरे पति ने मुझे ऐसी बात बताई कि मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई मेरे ने कहा कि हमारी बेटी नहीं है इसलिए उसकी जरूरत से ज्यादा सुरक्षा करते हैं क्योंकि वह हमारे पापा जी के दोस्त की बेटी है मैंने पति से पूछा कि दोस्त की बेटी का क्या मतलब आपने तो मुझे यह बात कभी नहीं बताई मेरे पति ने कहा कि नहीं बताई बस ऐसी बातें जितने कम लोगों को पता हो उतना ही अच्छा होता है ननद और भाभी में कभी-कभी झगड़े भी हो जाते हैं और तुम उसे इस बात का ताना दे देती तो उसका दिल टूट जाता मैंने उनसे कहा कि मुझे यह बताएं कि यह किसकी बेटी है वैसे मैं ऐसी बिल्कुल भी नहीं हूं कि किसी को उसकी मजबूरी के ताने दो मेरे पति ने कहा कि पापा का का एक बहुत ही पुराना दोस्त था उसकी बेटी है इसका इस दुनिया में कोई नहीं था और यह उसकी जवान बेटी थी पापा मुंबई जाते थे काम के सिलसिले में तो इसी के पास रहते थे एक दिन वापस आए तो इसे साथ ले आए थे इसका बाप इस दुनिया से चला गया और इसे हमारे हवाले कर गया उस समय मेरी तुमसे सगाई हो चुकी थी नहीं तो मेरी शादी इसी से करवा देते ताकि यह हमारे घर में ही रहती लेकिन मैंने इसके बाद से इसे बहन की नजर से देखा और बहन ही समझा पापा इसीलिए इसका जरूरत से ज्यादा ख्याल रखते हैं कहीं कल को इसकी शादी किसी गलत इंसान से हो गई तो फिर ने के बाद उसके बाप को क्या जवाब देंगे तभी तो मेरी ननद मेरे ससुर से इतनी डरती थी उनकी किसी बात से इंकार नहीं करती थी उनके सामने कोई बात नहीं बोलती थी और उन्हें घर में आता देखकर परेशान भी हो जाती थी चीजें इधर उधर करना शुरू कर देती थी मेरी ननद की शक्ल भी ऐसी हो गई थी थी कि रात भर जागती थी आंखों के नीचे हल्के बन गए थे शायद अपनी मां को याद करके वह बेचारी रात भर रोती थी लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि मैं कुछ और ही सोचने पर मजबूर हो गई मेरी ननद कोई काम भी ठीक से नहीं करती थी हमेशा बिस्तर पर पड़ी रहती थी उसे किसी काम को कहने का भी मन नहीं करता था क्योंकि वह उसे नाकाफी ही करती थी एक दिन जब मैं ननद का कमरा साफ कर रही थी मैंने उसके बिस्तर पर एक ऐसी चीज पाई कि मेरे कदम तले से जमीन निकल गई यह वही चीज थी जो मेरे ससुर की जेब से मिली थी और अब यह मेरी ननद के बिस्तर पर पड़ी थी मैंने कान पर हाथ लगा लिया कुछ तो गड़बड़ थी फिर मैंने अपने ससुर के कमरे में जाकर देखा वहां भी वही चीज मिली यह क्या हो रहा था मेरे पति को शायद बेवकूफ बनाया जा रहा था लेकिन मर्दों से बात करने से पहले मुझे यह बात अपनी ननद से करनी थी उसने मुझे बता सकती थी मैंने वह चीज उसे दिखाई और कहा कि तुम्हारे कमरे से मिली है अब मुझे बताओ कि क्या चल रहा है आधी बात तो मुझे पता चल गई है अब बाकी की बात भी बताओ नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा मेरी ननद पहले ही डर हुई थी मैंने भी उसे गुस्सा कर दिया लेकिन फिर मुझे समझ में आया कि मुझे उससे प्यार से करनी चाहिए मैंने कहा कि देखो अगर तुम किसी मुसीबत में हो तो मुझे बताओ मैं तुम्हारी मदद करूंगी मुझे तुम्हारी मदद करनी चाहिए तुम्हें फिक्र करने की जरूरत नहीं है तुम मुझे बताओ तुम्हारे साथ इस घर मैं क्या हो रहा है बताओ तुम क्यों रो रही हो उसने कहा कि मैं कुछ नहीं बता सकती दीवारों के भी कान होते हैं मैंने उसे कहा कि तुम मेरे कान में बात बताओ जो तुम्हारे दिल में है और अगर नहीं कह सकती तो लिख कर बता दो वह बहुत ही डर गई थी किसी बात पर नहीं आ रही थी लेकिन आखिरकार उसने बता ही दिया और उसने मेरे कान में ऐसी बात बताई कि मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई मुझे नहीं पता था! कि वह मुझे ऐसी बात बताएगी मेरी जुबान से कुछ भी नहीं निकल रहा था मैं हैरान रह गई मेरे पति भी हैरान थे जो उसे इस घर में रहते हुए इस बात की खबर तक नहीं थी लेकिन वह पूरा दिन घर पर रहता नहीं था सुबह जाता था रात को आता था और छोटे दिनों में पूरा दिन अपने कमरे मैं सोकर ही गुजारता था उसने मुझे बताया कि लड़की ने अपनी बहन को नहीं देखा इसलिए मुझसे ज्यादा बात भी नहीं करती थी क्योंकि मेरे लिए तो यही हो रही है वैसे ही डरती रहती है इसलिए मैं भी उसे ज्यादा बाहर नहीं करती थी कोई काम भी नहीं चाहती थी जब तक तुम मेरी जिंदगी में नहीं आई थी खुद ही कर लेती थी या फिर मेरी मना कर देती थी मेरी आंखों में आंसू आ गए फिर वह अपने कमरे में गई और उसने मुझे एक कागज का टुकड़ा दिया उसने कहा कि यह सारी हकीकत का सबूत है इसके बिना तुम पर कोई यकीन नहीं करेगा मैंने अपने आंसू साफ किए और फिर उसके के आंसू भी साफ करके कहा कि तुम फिक्र मत करो मैं तुम्हारी मदद करूंगी शाम को मेरे पति आए तो मैंने कहा कि मुझे बाहर जाना है खाना खाने के लिए मेरे पति कहने लगे कि खाना घर में बना है फिर बाहर खाने की क्या जरूरत है बिरयानी बनी है मैंने पति को आंखों से इशारा किया और कहा कि मुझ बाहर ले चलो मुझे बाहर खाना खाना है वह मुझे घर से बाहर ले गया और हम एक होटल में बैठ गए वहां मैंने अपने पति को सारी बात आराम और सुकून से हर्फ दर हरफ बता दी वह चिल्ला नहीं सकता क्योंकि यह सार्वजनिक जगह थी लेकिन आखिरकार उसने मुझसे गुस्से से कहा कि तुम मेरे पिता पर इल्जाम लगा रही हो आज मैं तुम्हें एक बात बताता हूं जब मैंने अपने पिता से कहा कि उनकी दूसरी शादी करवा देते हैं तो उन्होंने इंकार कर दिया जब औलाद खुद बाप की शादी कराने का कहे फिर भी बाप इंकार कर दे ऐसा होता है क्या मेरे पिता बहुत नेक इंसान है मैंने वह कागज का टुकड़ा अपने पति के सामने रख दिया और कहा कि यह देखो अपने पिता की नेक वह डॉक्टर की रिपोर्ट थी जिनके मुताबिक मेरी ननद का अबॉर्शन करवाया गया था और अबॉर्शन करवाने वाला कोई और नहीं बल्कि मेरे ससुर था पति के खाने में उसी का नाम लिखा था तब मेरे पति हैरान रह गए फिर मैंने सारी बात बताई मैंने कहा कि आपके वालिद साहब इस लड़की को लेकर आए थे जरूर लेकिन बेटी बनाकर नहीं बल्कि पत्नी बनाकर वह इस लड़की से शादी करके लाए थे और उनकी शादी हुई लेकिन आपसे यह बात छुपा रहे थे और यह लड़की पहले दिन से उनसे शादी नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह उन्हें अपने पिता की जगह सम थी मुझे तो ऐसा लगता है जैसे इस लड़की के साथ बहुत बुरा हुआ है इतना बुरा कि वह बेचारी आधी पागल हो गई है जो कुछ भी बोलती ही नहीं है मुझे लगता है कि उन्होंने इससे शादी भी धोखे से की उसके मरते हुए पिता के सामने यही कहा कि अपनी बेटी बनाकर रखूंगा लेकिन बाद में नियत खराब हो गई और इससे शादी करके इसे अपने साथ ले आए मेरे पति हैरान रह गए और मैं भी बहुत दुखी थी मैंने कहा कि आपके पिता ने इससे धोखे से शादी की और अब इसे बहुत मारते भी हैं वे औलाद नहीं चाहते क्योंकि फिर लोगों को पता चल जाएगा इस बेचारी का दो बार अबॉर्शन करवा चुके हैं इस तरह के इंसान हैं आपके पिता मैं उन्हें कुछ नहीं कह सकती अब आप जाने और आपके काम जाने लेकिन इस लड़की की मदद करें वह बेचारी बहुत तकलीफ में है मेरे पति ने एक शब्द भी नहीं कहा चुपचाप जैसे गुस्से में थे अगले दिन उसने मेरे ससुर की परवाह कि पार्वती को घर से बाहर निकाल दिया और मुझे भी लेकर वही होटल में वापस आया वह हमारे सामने बैठी थी मेरे पति ने कहा कि मुझे सब कुछ पता चल गया है और अगर तुम मुझे पहले बताती तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता था देखो तुम्हारे पास आखिरी मौका है इसके बाद कोई मौका नहीं मिलेगा मुझे सिर्फ एक लाइन में साफ-साफ बताओ कि क्या तुम इस शख्स के साथ रहना चाहती हो या नहीं बस मुझे इतना बता दो फिर मैं सब कुछ संभाल लूंगा उसने कहा कि यह शख्स मेरे बच्चों का कातिल है मैं इसके साथ नहीं रहना चाहती मेरे पति ने उसके सिर पर हाथ रखा और कहा कि अब हम सब कुछ संभाल लेंगे मेरे पति ने पार्वती को मेरे हवाले किया कि जब तक यह परेशानी चल रहा है तुम्हें अपने कमरे में रखना मैं बाहर सो जाऊंगा इसे ससुर के पास बिल्कुल नहीं जाने दूंगा कहीं वह फिर से इसके ऊपर हाथ ना उठा ले और मेरे पति ने मेरे ससुर को सब कुछ बता दिया वह भी हैरान रह गया अब्बा ने कहा कि हम लोग पार्वती की तरफ से आपके खिलाफ केस दायर करेंगे अगर आप खुद ही इसे तलाक दे दे तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी वरना यह बात सारे परिवार को पता चल जाएगी मेरे ससुर ने हट धर्मी पर उतरते हुए कहा कि कर लो जो करना है मेरे पति ने पार्वती की मदद की और तलाक का केस दायर कर दिया जब लड़की ने कह दिया कि वह इस इंसान के साथ नहीं रहना चाहती तो फिर किसी बात का जायज नहीं बनता था दोनों का रिश्ता खत्म हो गया लड़की ने बताया कि उसका एक मामा है मुझे उसके घर छोड़ आओ मामा भी बहुत बूढ़ा था लेकिन इस घर में एक मामा का दोस्त था जिस की पत्नी इस दुनिया से जा चुकी थी वहीं पर बैठकर हमने मशवरा किया और पार्वती की शादी उसके मामा के दोस्त से करवा दी उसके मामा ने उसे गले से लगा लिया और अपनी बहन की आखिरी निशानी समझकर रोने लगा उसका दोस्त भी अच्छा इंसान लगता था चूंकि पार्वती का मामा अकेला रहता था तो उसका दोस्त उसके लिए खाना बनाता था और उसका ख्याल रखता था इसका मतलब वह बुरा आदमी नहीं था अब पार्वती वहीं पर रहती है और खुशियों भरी जिंदगी गुजार रही है मेरे ससुर घर में ही रहते हैं और हमें निगाहों से देखते हैं लेकिन कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हमने उनकी जिंदगी से इतने सारे मजे खत्म कर दिए लेकिन मेरे पति भी अब उनकी इज्जत नहीं करते कहते हैं कि वह घर भी मेरे नाम कर दे और आप अपने आखिरी सफर की तैयारी करें शायद आपकी गम में ही मेरी मन दुनिया से चली गई वरना भी उनकी उम्र ही क्या थी बस यही जिंदगी है इसमें कुछ नहीं होता भगवान से यही प्रार्थना है कि हर लड़की की इज्जत बनी रहे!✨



