शादी की रात पति ने मना कर दिया, और फिर मेरी शादी हुई अपने ही स्टूडेंट से

शादी की रात पति ने मना कर दिया | हिंदी रोमांटिक कहानी

Mastani Story की इस हिंदी रोमांटिक कहानी में पढ़ें – कैसे शादी की रात पति ने मना कर दिया और लड़की की शादी अपने ट्यूशन पढ़ने वाले छात्र से हो गई। 11 साल की दूरी, गलतफहमियाँ और दर्द के बाद आखिरकार कैसे सच्चा प्यार ने उन्हें फिर से मिलाया। दिल को छू लेने वाली यह कहानी आपको रुला देगी और सच्चे प्यार का असली मतलब सिखाएगी।

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परिचय: इस कहानी में आपको प्यार, जज्बात और दिल को छू लेने वाले पल मिलेंगे। वीडियो देखना न भूलें!

कहानी की शुरुआत

Mastani Story की दुनिया में आपका स्वागत है जहाँ हर कहानी में छुपे हैं राज़, सस्पेंस और अनकही बातें। चलिए शुरू करते हैं। शादी की। रात को मेरा होने वाला पति अयांश ने मुझसे शादी करने से मना कर दिया। तब लोगों की लाज और बदनामी के डर से मेरी माँ ने मेरी शादी उस लड़के से करा दी जिसे मैं ट्यूशन पढ़ाया करती थी। उम्र सिर्फ 19 साल थी। ये सब देख कर मैं रोते रोते सो गई।सुबह जब उठी तो मैंने फैसला किया की मैं उस लड़के से बात करके तलाक ले लूँगी क्योंकि मैं उसे बच्चा समझती थी, लेकिन अगली रात उसने मेरे साथ नमस्ते दोस्तों आप सभी का स्वागत है मेरे चैनल पर एक बार फिर।मैं आपके सामने एक दुख भरी और दिल को छू जाने वाली कहानी लेकर आई हूँ। अगर आपको यह कहानी पसंद आए तो कृपया वीडियो को एक लाइक जरूर करें। तो चलिए शुरू करते हैं। मेरा नाम जाह्नवी है और आज मेरी शादी है और अपनी शादी को लेकर मैं बहुत खुश हूँ।वैसे मैं एक यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूँ और मैं एक गरीब परिवार से हूँ लेकिन मेरे माता पिता ने मुझे बहुत अच्छी शिक्षा दी है इसलिए मैं अपनी यूनिवर्सिटी की सबसे होनहार छात्रा थी। तब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान मुझे अयांश से प्यार हो गया। अयांश बहुत ही आकर्षक और अच्छा लड़का था।वह भी मुझे पसंद करता था। वैसे मैं आपको बता दूं कि मैं इतनी खूबसूरत थी कि जो भी लड़का मुझे देखता वह मुझ पर फिदा हो जाता, लेकिन मैं सिर्फ वह सिर्फ अयांश को पसंद करती थी। हमारी मुलाकात 1 साल पहले यूनिवर्सिटी में ही हुई थी।तब वह थर्ड सेमेस्टर का छात्र था और मैं नई नई थी। उस दिन अयांश ने मुझे मेरी क्लास ढूंढने में मदद की थी। तभी मुझे उसका चेहरा तो अच्छा लगा ही लेकिन उसका स्वभाव उससे भी ज्यादा अच्छा लगा था। फिर धीरे धीरे हम दोनों की बातचीत बढ़ने लगी।फिर 1 दिन उसने मुझे प्रोपोज़ कर दिया। उस दिन मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उस दिन यूनिवर्सिटी से घर लौट कर मैंने अपने ट्यूशन पढ़ने वाले छात्र को भी छुट्टी दे दी क्योंकि मेरे दिमाग से अयांश का ख्याल ही नहीं जा रहा था। उस दिन मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया लेकिन मैं चाहती थी।की हमारा रिश्ता मज़बूत हो और वह मुझसे शादी करे। इसलिए अगले दिन मैंने यह बात अयांश से कही और वह इसके लिए तुरंत राज़ी हो गया। फिर घर आकर मैंने अपनी माँ को सब कुछ बताई तब माँ को डर था की मेरे पापा कुछ ना कह दे क्योंकि वह थोड़े पुराने ख्यालों के इंसान थे।लेकिन मुझे पूरा यकीन था कि पापा मेरी इच्छा का सम्मान करेंगे और हुआ ऐसा ही पापा ने अयांश के साथ मेरे रिश्ते को स्वीकार कर लिया और ठीक उसी तरह अयांश के घर वालों ने भी इसे मंजूर कर लिया। फिर माँ ने मुझसे कहा कि मैं अयांश को बोलूं कि वह अपने घर वालों को लेकर आए।तो मैंने यह बात अयांश को बताई और लगभग एक हफ्ते बाद अयांश के घरवाले हमारे घर रिश्ते की बात करने आए। इतना सब कुछ इतनी जल्दी और इतने परफेक्ट तरीके से कैसे हो सकता है? ये सब मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था क्योंकि मैंने हमेशा सुना था।कि जहाँ प्यार होता है वहाँ समाज रुकावट बनता है। लेकिन मेरी कहानी में ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैं चाहती थी कि मेरी कहानी का अंत भी ऐसे ही खुशहाल हो, लेकिन अयांश के घर वालों से मिलने के बाद मुझे थोड़ा अजीब लगा।मुझे ऐसा महसूस हुआ की शायद वे इस रिश्ते से खुश नहीं हैं, लेकिन मैंने इस बात को नज़रअन्दाज़ कर दिया क्योंकि उस वक्त मेरी ख़ुशी के आगे मुझे कुछ और दिखाई ही नहीं दे रहा था, लेकिन कोई था जो मेरी इस ख़ुशी से खुश नहीं था। खैर, लगभग तीन महीने बाद।हमारी शादी का दिन तय हुआ और ये तीन महीने भी देखते देखते बीत गए। अब मैं अयांश की दुल्हन बनने वाली थी लेकिन तभी अचानक मेरी शादी टूट गई और मेरी शादी टूटने की वजह से मेरे पल पूरी तरह टूट चूके थे। तब लगभग 1 घंटे बाद माँ को होश आया।उसी वक्त जीतेन्द्र की माँ अपर्णा आंटी मेरी माँ के पास आई और उन्हें ढांढस बंधाने लगी। दोस्तों वैसे आपको बता दूँ की जीतेन्द्र की माँ और मेरी माँ बहुत अच्छी सहेलिया थी। जीतेन्द्र की माँ हमेशा मेरी माँ के हर मुसीबत में साथ देती थी।लेकिन मुझे नहीं पता था कि अपर्णा आंटी मेरी माँ से यह कहेंगी कि वह मेरी शादी अपने बेटे जीतेन्द्र के साथ करना चाहती है, लेकिन तब अपर्णा आंटी की यह बात मेरी माँ को भी ठीक लगी और उन्होंने बिना ज्यादा सोचे विचारे ही हाँ कह दिया, लेकिन तब मैं इसके लिए राजी नहीं थी।इसलिए जब मुझे यह बात पता चली तो मैंने पूरे घर में हंगामा खड़ा कर दिया क्योंकि मैं अपने ही ट्यूशन के छात्र से शादी कैसे कर सकती थी? और वैसे भी जीतेन्द्र की उम्र सिर्फ 19 साल थी, तो वह इस रिश्ते को कैसे निभाएगा? क्या वह इस रिश्ते की ज़िम्मेदारी समझ पाएगा? लेकिन ना जाने क्यों मेरी माँ और अपर्णा आंटी ये बात नहीं समझ रही थी। तब मैंने उन्हें यह बात समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन मेरी माँ ने मेरी एक ना सुनी उल्टा माँ मुझे धमकाने लगी। उन्होंने कहा कि अगर मैं इस शादी के लिए राज़ी नहीं हुई।तो मैं अपनी माँ का मरा हुआ मुँह देखूंगी। तब माँ की तरह पापा भी किसी ना किसी तरह जीतेन्द्र के साथ मेरी शादी करवाने के लिए राजी हो गए और मुझे मनाने लगे। लेकिन मैंने साफ साफ कह दिया की मैं अपने ही ट्यूशन के छात्र से शादी नहीं कर सकती। इसके बाद भी।माँ ने जबरदस्ती मेरी शादी जीतेन्द्र के साथ करवा दी। हमारी शादी के साथ फेरे लेते वक्त मेरी आँखों से आंसू टप टप कर जमीन पर गिर रहे थे तब मेरे पैर भी मेरे साथ नहीं दे रहे थे। मैं तब भी समझ नहीं पा रही थी की ये सब क्या हो रहा है? इस तरह हमारी शादी हो गई।फिर विदाई का वक्त भी आ गया तो मेरे माँ पापा ने मुझे आशीर्वाद देकर विदा कर दिया। तब मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं उनके लिए उनके जीवन में एक बोझ थी, इसलिए उन्होंने किसी भी तरह उस बोझ को उतार दिया। भले ही मेरी शादी किसी के साथ भी हो।ऐसा नहीं है की जीतेन्द्र किसी अच्छे परिवार का लड़का नहीं था। जीतेन्द्र बहुत अच्छे परिवार का लड़का था। अपर्णा आंटी भी मुझे बहुत प्यार करती थी और जीतेन्द्र उनका इकलौता बेटा था। वैसे अपर्णा आंटी के पास बहुत सारी सम्पत्ति थी और वह सब जीतेन्द्र को ही मिलने वाली थी।खैर, विदाई के बाद जब मैं उनके घर पहुंची तो उन्होंने मेरा बहुत अच्छे से स्वागत किया लेकिन मेरा दिल इन सब चीजों के लिए तैयार नहीं था। लेकिन जैसे तैसे करके रीती रिवाज निभाने के बाद अपर्णा आंटी मुझे कमरे में बिठाकर बाहर चली गई।लेकिन उस रात जीतेन्द्र पूरी रात कमरे में नहीं आया। फिर मैं रोते रोते सो गई और तब मैंने फैसला कर लिया था की मैं जीतेन्द्र से कहूँगी की वह मुझे तलाक दे दे। अगले दिन सुबह सूरज की किरणों ने मुझे जगाया और जब मैंने आँखें खोलीं।तो देखा की जीतेन्द्र मेरे पैरों के पास बैठा था, तभी मैंने जीतेन्द्र से कहा जीतेन्द्र मुझे तलाक दे दो, चलो मेरे साथ। कोर्ट तब जीतेन्द्र मेरी बात सुनकर हक्का बक्का रह गया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे एक कमरे में ले गया। फिर जब उसने कमरे का दरवाजा खोला।तो मैं पागल सी हो गई क्योंकि कमरे की हर जगह मेरी तस्वीरों से भरी हुई थी। ये देख कर मैंने उससे पूछा ये सब क्या है? तब उसने कहा मैं तुमसे पहले से ही प्यार करता हूँ। ये कोई टीनेज का प्यार नहीं है बल्कि सच्चा प्यार है।मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। जब तुम किसी और की दुल्हन बनने वाली थी तो मुझे लगता था कि मैं मर जाऊंगा। मेरा मन रोता रहता था, पूरी रात नींद नहीं आती थी। फिर जब अयांश बारात लेकर नहीं आया तो मेरे मन में एक उम्मीद जगी। वैसे मैंने तुम्हारी हर बात मानी है।फिर भी तुमने मेरा प्यार नहीं देखा, तब उसकी ये बातें सुनकर मुझे बहुत अजीब लगा क्योंकि ऐसी ही बातें तो अयांश भी मुझसे कहा करता था फिर भी उसने मुझे छोड़ दिया। तभी मैंने अपने कानों पर हाथ रख लिया और ज़ोर से चिल्लाने लगी, मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है?

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कहानी का रोमांचक हिस्सा

वैसे भी जीतेन्द्र तो बस 19 साल का है। वह अभी कॉलेज में भी नहीं गया था। फिर वह मेरे बारे में ऐसी बातें कैसे सोच सकता है? मुझे तो लगता था कि वह मुझे अपनी टीचर के रूप में सम्मान देता है, लेकिन अगर मुझे पता होता कि उसके मन में ऐसी गन्दी सोच है। तो मैं उसका कोई गिफ्ट कभी नहीं लेती। मैं समझ नहीं पा रही थी कि अपने दिल का बोझ मैं किस्से बांट कर हल्का करूँ क्योंकि सबने मुझे छोड़ दिया था। तब मैं वहाँ से अपने कमरे में चली आई और खुद को कमरे में बंद कर लिया। अब रात हो चुकी थी और मुझे भूख भी लग रही थी।क्योंकि मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया था। अपर्णा आंटी एक दो बार दरवाज़ा खट खटाकर बुलवाने आई थी लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया। तभी मुझे चाबी से दरवाज़ा खोलने की आवाज़ सुनाई दी तो मैंने देखा कि जीतेन्द्र अंदर आया तभी मैंने जल्दी से अपना मुँह घुटनों में छिपा लिया।फिर वो मेरे पास आकर बैठ गया और मेरे कंधे पर हाथ रखा जिसे मैंने झटक कर हटा दिया। तब उसने मुझसे कहा जाह्नवी मेरे हाथ को ऐसे झटक कर मत हटाओ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ और इस रिश्ते को पूरे दिल से निभाना चाहता हूँ। मैं खुद को एक अच्छा पति साबित करना चाहता हूँ।तब जीतेन्द्र की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने उससे कड़क आवाज में कहा यहाँ से चले जाओ, लेकिन वह वही बैठा रहा और नौकर को खाना लाने के लिए कह दिया। फिर 5 मिनट बाद नौकर खाना लेकर आया। जीतेन्द्र ने अपने हाथ से खाना मेरे मुँह के सामने रखा।लेकिन मैंने मुँह फेर लिया। मेरी इस हरकत को देख कर जीतेन्द्र मुझ पर चिल्लाता, चुपचाप खाना खा लो। तब उसकी आवाज़ अचानक कड़क हो गई थी। मैं उसकी सख्त आवाज़ को सुनकर हैरान होकर उसकी ओर देखने लगी। तब उसकी आँखों में कुछ अलग सा था, जिसे देख कर मुझे डर लगने लगा।इसी लिए मैं चुपचाप खाना खाने लगी। वह छोटे छोटे निवाले बनाकर मेरे मुँह में डाल रहा था और मैं बिना कुछ बोले खाये जा रही थी। अब मेरी भूख तो मिट चुकी थी लेकिन फिर भी मैं उसके सामने कुछ बोल नहीं पा रही थी, ना जाने कैसे उसने खुद ही समझ लिया।और अपने हाथ हटा लिए। अब हमारी रोज़ की ज़िन्दगी ऐसे ही चलने लगी। हमारे बीच कुछ कुछ बातें भी होने लगी। फिर 1 दिन रात माहौल कुछ बदल सा गया था क्योंकि जीतेन्द्र मेरे करीब आने लगा था। तभी मैंने उससे कहा जीतेन्द्र मुझे एक बताओ इन सबके बाद में।अगर हमारे बच्चे होंगे तो क्या तुम उनके खर्चे उठा पाओगे? क्या तुम उन्हें अपने दम पर पाल पाओगे? अगर नहीं पाल सकते तो प्लीज़ यहाँ से चले जाओ। तब मैं जीतेन्द्र को ये एहसास कराना चाहती थी कि सिर्फ शादी कर लेने से सब कुछ नहीं हो जाता।उसे अपनी ज़िम्मेदारियों को समझना होगा, क्योंकि ज़िन्दगी में सब कुछ आसानी से नहीं मिलता।इसलिए मैं चाहती थी की वह अपनी योग्यता से सब कुछ हासिल करें और मैं जीतेन्द्र को एक सफल इंसान के रूप में देखना चाहती थी, इसलिए मैं उसे अपने पास नहीं आने देती थी। हालांकि मेरी बातों से जीतेन्द्र बहुत टूट गया था, इसलिए वह बिना कुछ बोले।ज़ोर से दरवाजा बंद करके कमरे से बाहर चला गया। उस रात के बाद उसने मुझसे बात करना ही बंद कर दिया। मेरे लिए यह अच्छा था कि अब जीतेन्द्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहा था क्योंकि अब उसने अपने दोस्तों से मिलना जुलना भी कम कर दिया था। उस रात के बाद एक हफ्ता बीत गया।लेकिन जीतेन्द्र ने मुझसे एक शब्द भी नहीं कहा। फिर 1 दिन मुझे अपर्णा आंटी से पता चला कि जीतेन्द्र अपनी पढ़ाई के लिए यूके जा रहा है। 11 दिन बाद उसकी फ्लाइट है। ये सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि वह तो मुझे अपनी छोटी छोटी बातें भी बताया करता था।लेकिन इस बार उसने इतनी बड़ी बात मुझसे छुपा ली। मुझे लगा कि शायद आंटी मेरे साथ मजाक कर रही है। वह मेरे बिना नहीं रह सकता था, फिर वह युकी कैसे जा सकता है? इसलिए मैंने आंटी की बात को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन फिर मैंने कमरे में उसका बैग देखा।और वहाँ उसका टिकेट भी पड़ा था। जीतेन्द्र अब कमरे में भी कम आता था। वह सिर्फ कपड़े बदलने और फ्रेश होने के लिए आता था। अब जीतेन्द्र के जाने की बात सोच कर मुझे बहुत अजीब लग रहा था। मन में अचानक से टेंशन आ गई। उस दिन मुझे समझ आया कि जब कोई आपको प्यार करता है।आपका ख्याल रखता है और अचानक आपकी ज़िन्दगी से चला जाता है तो वह कितना दर्द देता है? मैं अंदर ही अंदर टूट चुकी थी लेकिन जीतेन्द्र से ये बात कह नहीं पा रही थी। उसी रात मुझे नींद नहीं आ रही थी और मैं ना चाहते हुए भी जीतेन्द्र के बारे में सोच रही थी।तभी अचानक कमरे का दरवाज़ा खुलने की आवाज आई। मैं जल्दी से बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गई, तब जीतेन्द्र रात के 3:00 बजे कमरे में आया था। वह अलमारी की ओर गया और बिना मेरी ओर देखे अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम की ओर जा रहा था, तभी मैं उसके सामने जाकर खड़ी हो गई।मैंने उससे पूछा, मुझे अच्छा नहीं लग रहा कि तुम मुझे इग्नोर कर रहे हो, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? जीतेन्द्र क्या तुम सचमुच विदेश जा रहे हो? मेरी बात सुनकर जीतेन्द्र ने बहुत सख्त आवाज़ में कहा यही तो तुम चाहती थी ना? तब मैं उसे रोकना भी चाहती थी लेकिन कुछ समझ नहीं पा रही थी।और फिर वह विदेश चल गया। विदेश जाने के बाद वह हफ्ते में एक बार कॉल करता लेकिन सिर्फ अपनी माँ से बातें करता और फिर कॉल कट कर देता। कभी कभी वो वीडियो कॉल भी करता और अपनी माँ को देख कर वापस कॉल काट देता। तब कॉल करते ही मैं फूट फूट कर रोने लगती।इसी तरह से रोते रोते मेरी हालत खराब हो गई। मैं समझ नहीं पा रही थी कि वह मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है? अब उसे विदेश गए पूरे 11 साल हो गए थे लेकिन वो मुझे एक बार भी बात नहीं किया था और मैं पागलों की तरह इन 11 साल से उसका इंतजार कर रही हूँ।हालांकि ये सब सोच कर मुझे बहुत रोना आता है क्योंकि वह तो कहता था कि वह मुझसे प्यार करता है, तो क्या जीतेन्द्र भी अयांश जैसा निकला? क्या उसने भी मुझे धोखा दिया? क्या मैं सबके लिए यही डिज़र्व करती हूँ? क्या मैं इतनी बुरी हूँ? उस दिन रोते रोते मेरा दम घुटने लगा था।लेकिन अब मैंने ठान लिया था कि मैं कभी किसी के लिए इंतजार नहीं करूँगी। अब मैं खुद को मजबूत और सक्षम बनाऊंगी। वैसे भी जीतेन्द्र के यहाँ से जाने के बाद मैंने भी अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी कर ली थी और अब मैं चाहती थी कि मैं नौकरी करूँ और अपने सारे खर्चे खुद ही उठाऊं।इसलिए मैंने ठान लिया था की अब मैं किसी से कोई उम्मीद नहीं रखूंगी और जीतेन्द्रा को हमेशा के लिए छोड़ दूंगी। ये सब सोचते सोचते और रोते रोते उस रात में सो गयी लेकिन सुबह उठ कर देखा की घर का माहौल ही बदल गया था क्योंकि जीतेन्द्रा के लौटने की खबर से सब बहुत खुश थे।और अपर्णा आंटी जैसे अपने सारे दुख भूल गई थी। मेरे माँ पापा भी आए हुए थे। वे भी अपने दामाद के लौटने और उसकी सफलता पर बहुत खुश थे। अगले दिन सुबह जीतेन्द्र घर आया लेकिन मैं उससे मिलने के लिए अपने कमरे से बाहर नहीं निकली। वो अपने साथ अपने परिवार को भी लाया था।जिसमे एक बहुत सुन्दर लड़की और एक बहुत प्यारा लड़का था। शायद उनकी माँ नहीं आई थी। ये बात मुझे घर की नौकरानी ने बताई थी। क्यों की मैं अभी तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकली थी। मैंने नौकरानी से पूछा की क्या किसी ने मेरे बारे में पूछा? तो उसने ना में सिर हिला दिया। अब रात के खाने का समय हो गया था लेकिन मुझे बुलवाने के लिए कोई नहीं आया। इसलिए मैं खुद खाने की मेज पर चली गई। वहाँ जाकर देखा कि सब अपने अपने में बात करने में व्यस्त थे। तब मुझे देखकर जीतेन्द्र ने सिर्फ हालचाल पूछा।और आराम से अपना खाना खाने लगा। ये सब देख कर मुझे रोना तो आ रहा था लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल कर लिया। उन बच्चों को भी मुझे जहर की तरह लग रहा था। मैंने आधा खाना खा कर उठने लगी, तभी जीतेन्द्र ने मुझे रोक कर कहा जाह्नवी खाना पूरा करके जाओ, ऐसे खाना बर्बाद नहीं करते।तब मैंने उसकी बात अनसुनी करके अपने कमरे में चली गई।

कहानी का समापन

थोड़ी देर बाद वो छोटी सी लड़की मेरे कमरे में आई और बोली, मम्मी ऐसे खाना फेंकने से भगवान को दुख होता है? फिर उसने अपने छोटे से हाथ मेरे हाथ पर रखे और मुझे अपने साथ चलने के लिए कहने लगी।मैंने उसका हाथ अपने हाथ से छुड़ाया और कहा तुम जाओ अपने पापा के पास जाओ, मैं और नहीं खावुंगी, लेकिन वह बहुत ज़िद्दी थी, उसने मुझे अपने साथ खींच कर ले ही गई। जब मैं नीचे गई तो सब वही बैठे थे, लेकिन सब का खाना हो चुका था।और मेरी प्लेट वैसे ही रखी थी। मैं अपनी जगह पर बैठकर खाना खाने लगी तभी जीतेन्द्र और मेरी आंखें मिली। आँखों के मिलते ही जीतेन्द्र असहज हो गया और उसने मुझसे कहा जानता हूँ जाह्नवी मैंने गलती की है, लेकिन तुम्हारी उस बात से मुझे भी बहुत बुरा लगा था।जब तुमने मुझे तिरस्कार किया, क्या मैं ये डिज़र्व करता था? हाँ, मैं मानता हूँ कि मैं कमाई नहीं कर सकता था, लेकिन मैं तुम्हारा प्यार तो चाहता था लेकिन तुमने मुझे दूर ठेल दिया। इससे मैं टूट गया था इसलिए मैंने यह सब कर लिया। जानता हूँ कि इन 11 सालों में तुमने बहुत दुख झेले।जितना दुख तुमने झेला उससे कहीं ज्यादा मैंने तड़पा क्योंकि तुम तो मुझसे प्यार नहीं करती थी लेकिन मैं तुम्हारे प्यार में पागल था और ये मेरे बच्चे नहीं है। ये मेरे दोस्त के बच्चे हैं। उनके माँ बाप की कार अक्सीडेंट में मौत हो गई थी।इसलिए तब से ये मेरे साथ रहते हैं। 5 साल हो गए इन्हें मेरे साथ रहते मैंने इनकी सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है। तब जीतेन्द्र की बात सुनकर मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था की इन 11 साल की दूरी 11 मिनट में कैसे खत्म नहीं हो सकती है।इसलिए मैंने कहा तुम मुझ से झूठ बोल रहे हो, मुझे पता है कि कुछ दिनों में इनकी माँ भी यहाँ आ जाएगी और तुम मुझे छोड़ दोगे। मेरी बात सुनकर जीतेन्द्र ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और मुझे उन बच्चों के माँ बाप की तस्वीरें दिखाने लगा। उन्हें देखकर मेरे होश उड़ गए।क्योंकि तस्वीरों में एक हस्ता हुआ जोड़ा था जो अब इस दुनिया में नहीं था। जीतेन्द्र ने कहा, जाह्नवी मैं झूठ नहीं बोल रहा। ये बच्चे मेरे दोस्त राहुल और उसकी पत्नी माया के हैं। 5 साल पहले उनकी कार दुर्घटना में मौत हो गई थी।तब उसकी बातें सुनकर मेरी आँखें भर आई क्यों की मैंने कभी नहीं सोचा था की जीतेन्द्र इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी उठा सकता है। मैं उसे हमेशा एक बच्चा समझती थी, लेकिन उसने मुझे गलत साबित कर दिया। अब मेरे मन में उसके लिए अब तक जो गुस्सा और गलतफहमी थी।वह धीरे धीरे पिघलने लगी। फिर मैंने उससे कहा, जीतेन्द्र तुमने मुझे ये सब पहले क्यों नहीं बताया? मैंने तुम्हे गलत समझा, मैंने सोचा तुमने भी मुझे अयांश की तरह छोड़ दिया। इस पर जीतेन्द्र ने मेरी ओर देखा तब उसकी आँखों में भी आंसू थे। फिर उसने कहा जाह्नवी।मैंने तुम्हे कभी छोड़ा ही नहीं, मैं इसलिए गया क्योंकि मैं तुम्हे दिखाना चाहता था कि मैं तुम्हारे लायक बन सकता हूँ। मैंने वहाँ पढ़ाई पूरी किया, एक अच्छी नौकरी किया और इन बच्चों की जिम्मेदारी भी उठाई, लेकिन तुम्हारा प्यार मेरे लिए हमेशा सबसे कीमती रहा।मैं जानता हूँ की मैंने तुम्हे बहुत दुख दिया है, लेकिन मैं चाहता हूँ की हम अब एक नई शुरुआत करें। तब उसकी बातें सुनकर मेरा दिल पिघल गया। फिर मैंने महसूस किया की मैंने जीतेन्द्र को कभी समझने की कोशिश ही नहीं की। वह मेरे लिए इतना कुछ कर रहा था और मैं उसे गलत समझ रही थी।तब मैंने उससे कहा, जीतेन्द्र मुझे माफ़ कर दो, मैंने तुम्हे बहुत गलत समझा, मैं भी अब समझती हूँ की प्यार सिर्फ साथ रहने में नहीं बल्कि एक दूसरे को समझने और सम्मान देने में है। फिर जीतेन्द्र ने मेरे हाथ को धीरे से पकड़ा और कहा, जाह्नवी।क्या तुम मुझे एक मौका दोगी? मैं वादा करता हूँ की मैं तुम्हे कभी दुख नहीं दूंगा। तब मैंने उसकी आँखों में देखा और मुझे उसमें वही सच्चाई दिखी जो मैंने पहले दिन देखी थी तो मैंने हल्के से सिर हिलाई और मुस्कुरा दी। उसके बाद हम दोनों ने बच्चों के साथ समय बिताना शुरू किया।वे बच्चे जिन्हें मैंने पहले जहर की तरह समझी थी, अब वे मेरे लिए परिवार का हिस्सा बन गए थे। जीतेन्द्र ने मुझे बताया कि वह भारत में अब एक स्कूल खोलना चाहता है ताकि गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। तब मैंने भी उसका साथ देने का फैसला किया।क्योंकि तब मैंने भी अपनी नौकरी शुरू कर दी थी और अब हम दोनों मिलकर एक नया जीवन शुरू करने की योजना बनाने लगे। फिर समय के साथ मेरे मन का सारा दर्द और गलतफहमिया के खत्म हो गई। इन सब से मैंने सीखा की प्यार और विश्वास के बिना कोई भी रिश्ता पूरा नहीं होता।जीतेन्द्र ने मुझे दिखाया की वह ना सिर्फ एक अच्छा इंसान है बल्कि एक ज़िम्मेदार और प्यार करने वाला पति भी है। अब हमारी ज़िन्दगी खुशियों से भर गयी थी उन बच्चों की हँसी जीतेन्द्र का साथ और हमारा एक दूसरे के लिए प्यार मेरे लिए सबसे अनमोल खजाना बन गया और इस तरह।मेरी कहानी जो दुख और गलतफहमियों से शुरू हुई थी, एक खूबसूरत और सुखद अंत के साथ पूरी हुई जिससे मैंने सीखा कि जिंदगी में हर मुश्किल का सामना करने की हिम्मत होनी चाहिए और सच्चा प्यार तो हमेशा अपना रास्ता ढूंढ ही लेता है तो दोस्तों उम्मीद है।ये कहानी आपके दिल को छू गई होगी। अगर पसंद आई तो इस वीडियो लाइक और चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलना। फिर किसी नई कहानी में मुलाकात होगी। bye।

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